Thursday, May 15, 2025

कोऽहम्

आकाश, क्षितीज, सागर

वितळत राहिले जीवनभर

सीमारेषा विरघळल्या पार

अन निरवतेत झिरपलं सार

कोऽहम् कोऽहम् ...



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