कितना छोडू, कितना पकडू
रफ्तार न समझ सका मैं |
कितना ले लु, कितना दे दु
ब्यापार न समझ सका मैं|
कितना देखु, कितना दिखाऊ
दिखावा न दिखा सका मै|
कितना खाऊ, कितना खिलाऊ
होटल न खुलवा सका मै|
कितना सिखु, कितना सिखाऊ
पाठशाला न चला सका मैं|
कितना जिऊ, या जिना बस करू
ये भी न समझ़ सका मैं|
जो है हाथोंमे, उसे गले लगाऊ
बस इतना समझ़ सका मैं|