Wednesday, March 2, 2022

दोस्त



दोस्त समझ कर तुझे,

जो बिठाया पलकोंतलें

ढुँढता चला गया तू

मेरी रुह को, जर्रें जर्रें


न मिला दिल तो मेरा,

खंजीर को चलाता गया

देखता गर गिरेबान में

वही तू पाता दिल मेरा.







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