दोस्त समझ कर तुझे,
जो बिठाया पलकोंतलें
ढुँढता चला गया तू
मेरी रुह को, जर्रें जर्रें
न मिला दिल तो मेरा,
खंजीर को चलाता गया
देखता गर गिरेबान में
वही तू पाता दिल मेरा.
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