सागर की हर एक लहर, आहट देती रहती है
तुम्हारे आने की, मगर जिंदगी चली जाती है
कितनी बहारें आयी, सुनी सी चली गयी है
खडी मै पेड जैसे, एक जमाना हो चला है
कैद हो गयी हुँ मै अब, जमाने की ढुँढती निगाहे है
हवा का एक झोका, सुखे पतोंको बीखेर देता है
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