Saturday, August 3, 2024

राह

फोटो क्रेडिट:  रश्मी

इन सब्ज़ राहों की कसम

चलते रहना ऐ शरिक हयात


सब्ज की गुफाँ से 

नजर नहीं हटती

काश तेरी पहलुँ में 

सीमट ही जातें


सब्ज परदा ओढे हुये

ये कितनी दस्त तिरी

कितनी तड़प रहीं है

आगोश में लेने के लिये


सब्ज पत्ते पर 

ठहरा हुवा ये लब्ज़

बयाँ कर रहा है के 

तू ही है तू ही है तू ही है!

फोटो क्रेडिट : रश्मी



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