बहारों ने इतना रुलाया है मुझ को
कई बरसातें बरस गई , यारों....
गुल खिले है इतने रंगीन सारेके रंग जिंदगीका उजडा हुआ है
लदी हुई है टहनी, फलोंसेपर नीरस हुई है जवान सॉसें
पेडों पर निकले है पत्ते बहार केबस उजड गया है आशियाना यारों !
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