Thursday, September 18, 2025

बहारों ने इतना रुलाया है मुझ को

बहारों ने इतना रुलाया है मुझ को

कई बरसातें बरस गई , यारों....

गुल खिले है इतने रंगीन सारे
के रंग जिंदगीका उजडा हुआ है

लदी हुई है टहनी, फलोंसे
पर नीरस हुई है जवान सॉसें

पेडों पर निकले है पत्ते बहार के
बस उजड गया है आशियाना यारों !

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