Tuesday, February 23, 2021

अंबर की ओर

शाख शाख टहनी टहनी

पसारे बाहें अखियाँ बिछे

देख रहीं अंबर की ओर


मिट्टी का हर कण कण 

सदियों से  है प्यासा सा 

राह ताकता अंबर की ओर


दूर वहाँ पिछे बसती के 

ढलते सूरज की चाहत 

इक बादल हो अंबर की ओर


इक अकेले पेड से लिपटी

कब से खडी देख रही हु 

तूही आ जा अंबर की ओर

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